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फिल्म "सीक्रेट सुपर स्टार" की समीक्षा




फिल्म "सीक्रेट सुपर स्टार" की समीक्षा---
----सिर्फ सिंगर बनने की कहानी नहीं, जीवन के कई अनछुए पहलु भी बताती है 'सीक्रेट सुपरस्टार'---

स्टारकास्ट--- आमिर खान, जायरा वसीम, मेहर विज, राज अरुण, तीर्थ शर्मा
निर्देशक--- अद्वैत चंदन
निर्माता: आमिर ख़ान, किरण राव।
रेटिंग---5 में से 4.5 (साढ़े चार स्टार)
मूवी टाइप---ड्रामा
अवधि---2 घंटा 30 मिनट
सर्टिफिकेट: U /A

कहानी---- 

फिल्म 'सीक्रेट सुपरस्टार' की कहानी है इनसिया नाम की 15 साल की एक लड़की की जिसका सपना है सिंगर बनने का लेकिन उसके पिता बहुत ही सख्त हैं और उसे अपने सपने पूरे करने की इजाजत नहीं देते, इसलिए इनसिया बुर्का पहनकर एक गाना रिकॉर्ड करती हैं और उसे यूट्यूब पर अपलोड करती हैं. यूट्यूब पर उस गाने को खूब पसंद किया जाता है और इस तरह वो सीक्रेट सुपरस्टार बनती है. इनसिया को सिंगर बनाने में उनकी मां और फ्लॉप हो चूका संगीतकार शक्ति कुमार मदद करते है.  इंसिया मलिक (जायरा) एक 15 साल की टैलंटेड स्कूल गर्ल है जो बड़ौदा की रहने वाली है। इंसिया की भावनाएं बहुत आहत होती हैं क्योंकि उसके मां-बाप के रिश्ते अच्छे नहीं है। फिर भी इंसिया अपने गायक बनने के सपने को पूरा करने के लिए जी-जान से कोशिश करती है। इसके अलावा वह अपनी मां को अपने कंजर्वेटिव और हिंसक पिता से दूर करने के प्रयास भी करती है। 

फिल्म की समीक्षा--- जब आमिर खान किसी फिल्म के पीछे हों तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि फिल्म बेहतरीन होगी। आमिर ने फिल्म में एक अजीब से म्यूजिक डायरेक्टर शक्ति कुमार की भूमिका निभाई है। फिल्म 'सीक्रेट सुपरस्टार' में भ्रूण हत्या, घरेलु हिंसा, एक लड़की की हिम्मत और अपने दम पर कुछ बनने की चाहत जैसे कई पहलु हैं, जिसे हम पहले भी कई बार देख चुके हैं. मगर इस बार खास ये है कि बड़ी ही सुंदरता से इन सभी पहलुओं को फिल्म में छुआ गया है. यानी पटकथा पर काम अच्छे से किया गया है. और चूंकि फिल्म को आमिर खान ने प्रोड्यूस किया है इसलिए फिल्म में कुछ अलग होने की हम उम्मीद भी करते हैं. इस फिल्म में एक लड़की के हौसले की कहानी है. एक औरत जिसका पति बात बात पर उसे मारता है फिर भी वो अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने की ख्वाहिश और जद्दोजहद करती है. फिल्म के कई दृश्य इमोशन से भरे हैं. फ्लॉप संगीतकार शक्ति कुमार के रोल में आमिर खान ने जान डाली है. ये किरदार आपको कई जगह हंसाएगा. फिल्म में रिश्तों की कड़ियों को भी अच्छे से बुना गया है. जायरा वसीम ने बेहतरीन अभिनय किया है. इनसिया की मां की भूमिका को मेहर विज ने बेहतरीन तरीके से निभाया है. अद्वैत चन्दन का निर्देशन अच्छा है.इस फिल्म से डायरेक्शन में डेब्यू करने वाले डायरेक्टर अद्वैत चंदन हैं जिन्होंने आमिर के साथ काम सीखा है। इस फिल्म में आपको इमोशंस, खुशी, आंसू, जोश और उत्सुकता देखने को मिलेगी। 

फिल्म में कुछ भी नया नहीं है। यह एक लड़की की लड़ाई है या एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपनी हिंसक शादी से बाहर निकलना चाहती है। ऐसी कहनियों पर पहले भी फिल्में बन चुकीं हैं लेकिन इस फिल्म को अलग तरह से नैरेट करने का तरीका इसे औरों से अलग करता है जो आपको फिल्म के साथ बांधे रखता है। आप फिल्म मां-बेटी की फ्रस्टेशन को समझ सकते हैं जिनके घर में उनके इमोशंस तक को बंधक बना लिया गया है। जब इंसिया खुद को आजाद कर लेती है तो आप अपनी आंखों से आंसू पोंछ रहे होंगे और उसकी इस जीत के लिए ताली जरूर बजाएंगे। यह फिल्म सोशल मीडिया जैसी बारीक सी उम्मीद की किरण के सहारे एक प्रतिभा के रौशन होने की कहानी कहने वाली है. बेशक, फिल्म ऐसा करती भी है, लेकिन 'सीक्रेट सुपरस्टार' की थीमलाइन मां-बेटी का एक खूबसूरत रिश्ता है. जिस पिता की उपस्थिति में घर का माहौल कर्फ्यू जैसा हो जाता हो, उसकी पीठ पीछे ये मां-बेटी डिस्को करती दिखाई देती है. जीवटता का यह ग्लूकोज फिल्म के फर्स्ट हाफ में आपको पलकें झपकाने से भी रोककर रखता है.

हालांकि पहला हिस्सा जिस मजबूती से आपको थामता है, दूसरे में आप उसे कई बार बुरी तरह ढीला पाते हैं. यहां सीक्रेट सुपरस्टार के असली सुपरस्टार बनने का संघर्ष दिखाते हुए फिल्म कई बार घिसटती है तो कई बार ठहर ही जाती है. हालांकि इस बीच भी कुछेक ऐसे मौके जरूर आते हैं जब फिल्म आपकी उम्मीद से अलग जाकर रोमांचित कर जाती है, लेकिन इनकी वजह से सेकंड हॉफ के लिए कमाल-वंडरफुल-वाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर पाना संभव नहीं है. वहीं रही-सही कसर एक प्रेडिक्टिबल क्लाइमैक्स पूरी कर देता है.

शुरू से लेकर आखिर तक जो बात फिल्म से आपको पूरी तरह जोड़े रखती है, वह है - अभिनय. नायिका इंसिया की भूमिका में जायरा वसीम 15 साल की टीनएज लड़की के गुस्से-चाहतों-जरूरतों को जिस तरह अपने चेहरे पर दिखाती हैं, उनके लिए खड़े होकर तालियां बजाने का मन करता है. जायरा जिनकी असली उम्र भी अभी मात्र सोलह साल है, के लिए इस गहराई से अभिनय कर पाना निश्चित रूप से उनकी मेहनत और टैलेंट की बदौलत ही संभव हो पाया है. फिल्म में जायरा की मां की भूमिका निभा रहीं मेहर विज के साथ उनके जितने भी दृश्य हैं, हर मां-बेटी के बीच होने वाले उन बहुत से संवादों के उदाहरण हैं जिनका होना असल जिंदगी में भी जरूरी है. बजरंगी भाईजान और तुम बिन-2 से तारीफें बटोर चुकीं 30 साल की मेहर विज ने भी 15 साल की बेटी की मां की भूमिका को भली तरह से अदा किया है. दिलचस्प यह है जायरा और मेहर की शक्लें भी काफी मिलती-जुलती हैं और वे सच में मां-बेटी सी लगती हैं.

तीसरा और सबसे जरूरी किरदार फिल्म में आमिर खान निभाते हैं. 'चीज़ी' और चमकीले स्टाइल सेंस वाले इस संगीतकार को चलते-बोलते-गाते देखकर आपको बड़ी चिढ़न होती है, यानी वह रिएक्शन जो आमिर चाहते हैं. बेहतरीन अभिनय के अलावा आमिर खान की इस बात के लिए भी तारीफ की जानी चाहिए कि फिल्म में गुंजाइश होते हुए भी वे अपने किरदार को एकदम सीमित रखते हैं और फिल्म जायरा वसीम को ही सौंप देते हैं. उनके अलावा सपोर्टिंग कास्ट में राज अर्जुन, कबीर शेक और तीर्थ शर्मा भी आपका ध्यान खींचते हैं. संगीत फिल्म का एक जरूरी हिस्सा है फिर भी फिल्म में गिनती के पांच गाने हैं लेकिन ये तभी आते हैं जब इनकी जरूरत होती है. इनमें से बैकग्राउंड में बजने वाला इकलौता गाना 'आई विल मिस यू,' जो जायरा वसीम और तीर्थ शर्मा पर फिल्माया गया है, अपने बोलों और सिचुएशन के चलते बेहद पसंद आता है और याद रह जाता है. तीर्थ और जायरा का टीनएज रोमांस भी फिल्म में कुछ सुंदर दृश्यों की वजह बनता है.

आमिर अपनी अदाकारी से पूरे सीन पर छा जाते हैं। फिल्म में उनका कैरक्टर अमेरिकन आयडल के जज ब्रैश सिमोन कॉवेल और बॉलिवुड के 90 के दशक के म्यूजिक डायरक्टरों का मिला-जुला रूप दिखता है लेकिन फिल्म में आगे आप इस किरदार की बारीकियों को देखते हैं। यह भी देखना अच्छा लगता है कि फिल्म में खुद को लाइम लाइट में लाने के लिए आमिर ने छोटी सी जायरा के साथ कहीं भी अन्याय नहीं किया है। जायरा को फिल्म में देखना खुशी देता है। फिल्म में मां के रोल में नज़मा (मेहर), चिंतन (तीर्थ शर्मा) और चाइल्ड ऐक्टर गुड्डू (कबीर) ने भी अपने किरदार बखूबी निभाए हैं। 

डायरेक्शन
फिल्म का डायरेक्शन बहुत अच्छा है। सिनेमैटोग्राफी जबरदस्त है। स्क्रिप्ट कसी हुई है। देखकर लगता नहीं कि अद्वैत चंदन की यह पहली फिल्म है। 

यह रही कमियां---

फिल्म की खामियों की अगर बात करें तो सबसे पहले है इसका संगीत. एक सिंगर की कहानी में उसका संगीत और बेहतरीन होना चाहिए था. फिल्म में मुझे ऐसा कोई भी गाना नजर नहीं आया जो लम्बे समय तक याद रखा जाए. यानी फिल्म का संगीत साधारण है. फिल्म की लम्बाई भी ज्यादा लगती है. खासतौर से फिल्म का पहला भाग थोड़ा लम्बा लगने लगता है. फिल्म के क्लाइमेक्स के समय मुझे थोड़ी ज्यादा ड्रामे बाजी लगी. इसकी एकमात्र कमी यह है कि इसकी एडिटिंग पर काम किया जा सकता था। ढाई घंटे की इस फिल्म की कहानी और गानों को छोटा किया जा सकता था। जिससे इसकी लंबाई कम हो सकती थी। कुल मिलाकर 'सीक्रेट सुपरस्टार' एक ऐसी फिल्म है जिसमें इमोशन है, ड्रामा है, कहानी है जो मनोरंजन के साथ साथ कुछ संदेश भी देती है. फिल्म में अमित त्रिवेदी का म्यूजिक आपको सुकून देता है लेकिन फिल्म के लिहाज से यह उतना बेहतरीन नहीं है जैसा इसे होना चाहिए था। कौसर मुनीर के गीत भी ठीकठाक हैं। 

फिल्म देखने जाए या नहीं?
ज़रूर देखने जाएं. ये फिल्म मिस नहीं कर सकते हैं आप. सीक्रेट सुपरस्टार फिल्म ख़ासकर उन लड़कियों को देखनी चाहिए, जो टैलेंट हैं, लेकिन वो अपने सपनों को साकार करने में सिर्फ़ इसलिए झिझकती है, क्योंकि उसे आज़ादी नहीं है अपने सपनों को जीने की. वीकेंड पर ये फिल्म आपके लिए किसी सुपरस्टार से कम नहीं होगी है.

क्यों देखें:---- अगर आपकी दुनिया आपकी मां के इर्द-गिर्द घूमती है तो आप इस फिल्म को ज़रूर देखें। लड़कियों को तो यह फिल्म हर हालत में देखनी ही चाहिए। यह फिल्म दीपावली की छुट्टियों में बच्चों को दिखाई जाने वाली एक अच्छी फिल्म है| अपने परिवार के जरूर देखें/दिखाएँ |


श्रीमान जी, धन्यवाद..

Thank you very much .



पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)













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