जानिए 19 अक्टूबर 2017 (गुरूवार) को दीपावली पर श्री लक्ष्मी का पूजन का शुभ मुहूर्त---भारत के मुख्य नगरों हेतु
जानिए 19 अक्टूबर 2017 (गुरूवार) को दीपावली का पूजन करने का स्थिर लग्न के समय अलग अलग जगहों में अलग अलग समय दिया गया है, उसमें अपनी सुविधा अनुसार श्री लक्ष्मी पूजन कर सकते है ।
मुम्बई में पूजन का समय :--------
वृश्चिक लग्न ---दिन के 08.41 से 10.55 तक
कुम्भ लग्न -- दोपहर 02.50 से 04.27 तक
वृषभ लग्न ---- शाम के 07.45 से 09.45 तक
गोधूलि लग्न -- शाम के 05.30 से 07.30 तक
सिंह लग्न ----- रात को 02.10 से 04.19 तक
दिल्ली में पूजन का समय :--------
वृश्चिक लग्न ---दिन के 08.39 से 10.58 तक
कुम्भ लग्न -- दोपहर 02.44 से 04.11 तक
वृषभ लग्न ---- शाम के 07.11 से 09.07 तक
गोधूलि लग्न -- शाम के 05.15 से 07.15 तक
सिंह लग्न ----- रात को 01.42 से 03.49 तक
बीकानेर में पूजन का समय :--------
वृश्चिक लग्न ---दिन के 08.53 से 11.12 तक
कुम्भ लग्न -- दोपहर 02.59 से 04.27 तक
वृषभ लग्न ---- शाम के 07.28 से 09.24 तक
गोधूलि लग्न -- शाम के 05.45 से 07.45 तक
सिंह लग्न ----- रात को 01.58 से 04.15 तक
जयपुर में पूजन का समय :-------
वृश्चिक लग्न ---दिन के 08.42 से 10.59 तक
कुम्भ लग्न -- दोपहर 02.47 से 04.17 तक
वृषभ लग्न ---- शाम के 07.20 से 09.16 तक
गोधूलि लग्न -- शाम के 05.35 से 07.35 तक
सिंह लग्न ----- रात को 01.50 से 04.05 तक
अहमदाबाद में पूजन का समय :-------
वृश्चिक लग्न ---दिन के 08.47 से 11.03 तक
कुम्भ लग्न -- दोपहर 02.55 से 04.28 तक
वृषभ लग्न ---- शाम के 07.39 से 09.37 तक
गोधूलि लग्न -- शाम के 05.30 से 07.30 तक
सिंह लग्न ----- रात को 02.07 से 04.18 तक
मद्रास में पूजन का समय :-------
वृश्चिक लग्न दिन में 08.02 से 10.14 तक
कुम्भ लग्न दोपहर में 02.14 से 03.56 तक
वृषभ लग्न रात में 07.24 से 09.26 तक
सिंह लग्न रात 01.57 से रात 03.50 तक
कोलकाता में पूजन का समय:---
वृश्चिक लग्न ---दिन के 07. 44 से 10.44 तक
कुम्भ लग्न -- दोपहर 01.52 से 03.26 तक
वृषभ लग्न ---- शाम के 06.37 से 08.36 तक
गोधूलि लग्न -- शाम के 04.30 से 06.30 तक
सिंह लग्न ----- रात को 01.05 से 03.16 तक
=====================================================
46 साल बाद धनतेरस पर बन रहा कलानिधि योग, जानिए इसके मायने---
46 साल बाद धनतेरस पर कलानिधि योग बन रहा है। तीन योग एक साथ होने पर कलानिधि योग बनता है। इस दिन प्रदोष काल में की गई पूजा अर्चना से धन वैभव में वृद्धि होती है। इससे सोना चांदी के साथ ही स्थायी संपत्ति में निवेश करना भी लाभदायक रहेगा।
17 अक्टूबर मंगलवार को धनतेरस प्रदोष बेला के साथ है। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रदोष होने से समय ग्रह स्थिति में व्रषभ लग्न से पंचम में शुक्र मंगल एवं चंद्रमा की युति से धन लक्ष्मी योग, श्री वृद्धि योग एवं श्री वत्स योग एक साथ पड़ रहे हैं। इन तीन योग के एक साथ होने से कला निधि योग बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार ऐसा संयोग 46 साल बाद बन रहा है। इस योग में महालक्ष्मी पूजन से धन धान्य में वृद्धि के साथ ही सुख समृद्धि भी प्राप्त होती है। धनतेरस पर आरोग्य के देवता धन्वंतरि का जन्म भी समुद्र मंथन से हुआ था। ये आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त शाम 6.04 मिनट से 8.28 बजे तक रहेगा। इस दिन तेरस सूर्य उदय से रात्रि 11.29 बजे तक रहेगी।
====================================================
दीपदान का भी महत्व----
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार धनतेरस पर यमराज को दीपदान करने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दिन भगवान कुबेर के साथ महालक्ष्मी का पूजन विधि विधान से किया जाता है। यम-दीपदान सरल विधि
यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगे (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है । तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें । अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है । दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम तरंगों के लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें । 'ॐ यमदेवाय नमः ' कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।
🔥 यम दीपदान का मन्त्र :
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||
➡ इसका अर्थ है, धनत्रयोदशीपर यह दीप मैं सूर्यपुत्रको अर्थात् यमदेवताको अर्पित करता हूं । मृत्युके पाशसे वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें ।
दीपदान का भी महत्व----
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार धनतेरस पर यमराज को दीपदान करने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दिन भगवान कुबेर के साथ महालक्ष्मी का पूजन विधि विधान से किया जाता है। यम-दीपदान सरल विधि
यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगे (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है । तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें । अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है । दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम तरंगों के लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें । 'ॐ यमदेवाय नमः ' कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||

====================================================
इन वस्तुओं की खरीदी शुभ----
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार धनतेरस के दिन गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, धातु के बर्तन स्टील को छोड़कर, सोना या चांदी के बने आभूषण, श्रीयंत्र स्फाटिक का, झाडू, वस्त्र(काले रंग को छोड़कर), नमक, कोदी शंख, धमिया खंडा, इलेक्ट्रोनिक आयटम, मिट्टी के दीपक, गौमती चक्र, कुबेर की फोटो, रूद्राक्ष सात मुखी की खरीदी शुभ मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार धनतेरस के दिन गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, धातु के बर्तन स्टील को छोड़कर, सोना या चांदी के बने आभूषण, श्रीयंत्र स्फाटिक का, झाडू, वस्त्र(काले रंग को छोड़कर), नमक, कोदी शंख, धमिया खंडा, इलेक्ट्रोनिक आयटम, मिट्टी के दीपक, गौमती चक्र, कुबेर की फोटो, रूद्राक्ष सात मुखी की खरीदी शुभ मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार खरीददारी के लिए शुभ मुहूर्त---
सुबह 11.02 बजे से 12.23 बजे तक(लाभ),
दोपहर 12.28 बजे से 1.54 बजे तक(अमृत)
दोपहर 12.28 बजे से 1.54 बजे तक(अमृत)
एवं प्रदोष बेला में शाम 6 बजे से 6.15 बजे तक है।
============================================================
============================================================
14 अक्टूबर को शनि पुष्य होने से भूमि भवन, वाहन व अन्य स्थाई सम्पत्ति में निवेश करने से काफी लाभ होगा।
श्रीमान जी, धन्यवाद..
Thank you very much .
पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
PT. DAYANAND SHASTRI,
LIG-2, H.NO.-217, INDRA NAGAR,
AGAR ROAD, UJJAIN (M.P.)
PIN CODE-456006,
MOB.-09669290067 &
WHATS App-09039390067,
FOR JIO--- 07000394515..
0 comments:
Post a Comment