जानिए क्या हैं कुबेर यन्त्र ??? कैसे होता हैं निर्माण और कैसे करता हैं काम ???
प्रिय पाठकों/मित्रों, हिन्दू धर्म के अनुसार लक्ष्मीजी को धन व वैभव की प्रतीक (देवी) माना गया है, तथा कुबेर भगवान को माता लक्ष्मी के खजाने का द्वारपाल (रक्षक)। कुबेर भगवान की पूजा का सबसे सरल उपाय कुबेर यंत्र को स्थापित कर, उसकी पूजा करना है। कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष माने जाते है,उनकी साधना मानवेत्तर प्राणियों ने और देवताओं ने भी की है,शास्त्रों के अनुसार दारिद्रयहीन,भाग्यदोष निवारण,आर्थिक उन्नति,और जीवन की विषमताओं को दूर करने के लिये कुबेर यन्त्र और मन्त्र आश्चर्यजनक रूप से फ़लदायी है। उनके यंत्र और मंत्र पर शक करना अपने को ठगाने के समान है।
अगर बार बार आपकी धनहानि हो रही हो ,या आप कर्जे में फसे हुए है लाख प्रयत्न के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है की धन कहा से आये ।या इसी प्रकार की कोई भी धन सम्बन्धी समस्या से आप परेशान है तो नवरात्र, धनतेरस, दीपावली या अन्य किसी शुभ-मुहूर्त्त में इस यन्त्र की रचना कर अपने घर, व्यापारिक जगह पर स्थापित करे इस यन्त्र के अधिपति देवता कुबेर है । इस यन्त्र की स्थापना के पश्चात दरिद्रता का नाश होकर धन व यश की प्राप्ति होती है स्वर्ण लाभ, रत्ना लाभ, गड़े हुए धन का लाभ एवं पैतृक सम्पति का लाभ चाहने वालो के लिए कुबेर यन्त्र अत्यंत सफलता दायक है | यह अनुभूत परीक्षित प्रयोग है इस यन्त्र की अचल प्रतिष्ठा होती है|
अधिकतर यह महादुर्लभ यंत्र सही तरीके से कोई भी स्वार्थपरता के कारण नही देता है,मैं आप लोगों को इस यंत्र को वास्तविक रूप से दे रहा हूँ,आशा है आप सभी इस यंत्र का लाभ प्राप्त करेंगे।कुबेर देवता का यंत्र, उनकी प्रतिमा के तुल्य प्रभावशाली माना गया है। इसकी साधना दरिद्रता-निवारण में अति प्रभावशाली सिद्ध हुई है। आपके घर में कुबेर यंत्र हो तो जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं रह सकती। कुबेर यंत्र के सामने नित्य ''ऊँ'' हृीं धन-धान्य समृद्धि देहि-देहि कुबेराय नमः'' मंत्र की एक माला जप करें तो घर में आश्चर्यजनक रूप से धन-धान्य की वृद्धि होने लगती है। दीपावली की रात्रि में अपने घर में कुबेर यंत्र स्थापित करना ही अपने आप में अत्यंत सौभाग्यशाली माना गया है और ऐसा व्यक्ति सभी दृष्टियों में उन्नति प्राप्त करता है। दीपावली की रात्रि महारात्रि मानी गयी है जो धन प्राप्ति में महान लाभकारी सिद्ध होती है। इस महारात्रि में हर प्रकार की सिद्धि-साधना सफल होती है।कुबेर यंत्र को जिस घर में रखा जाता है वहां धन की कमी कभी नहीं होती है. कुबेर को धन के रक्षक का पहरेदार बोला जाता है. माता लक्ष्मी की कृपा से कुबेर संसार के धन का पहरा करते हैं. जो व्यक्ति कुबेर यंत्र का पूजन करता है उसके पास धन की कमी नहीं होती है |देवता भी अपना खजाना कुबेर के पास रखते है, अतः अक्षय धन को प्राप्त करने के लिए श्रीयंत्र की पूजा की आवश्यकता तो हैं, ही परंतु कुबेर यंत्र के पूजन से तिजोरी में कुबेर यंत्र की स्थापना से व्यक्ति व जातक अक्षय धन सम्पदा का स्वामी हो जाता हैं, देवताओं के खजांची भगवान कुबेर की अक्षय कृपा प्राप् होती है। कुबेर धन को संचित रखने का कार्य करते हैं। कुबेर की कृपा जिस पर हो उसके जीवन में कभी भी धन-वैभव की कमी नहीं होती है। कुबेर की कृपा से घर धन-धान्य से भर जाता है और मनुष्य को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। यदि आपको धन संबंधी कोई भी परेशानी है तो श्री संपूर्ण कुबेर यंत्र आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। इसके मंगल प्रभाव में धन के मार्ग प्रशस्त होते हैं और धन को संचित कर के रखने में सहायता मिलती है। श्री संपूर्ण कुबेर यंत्र धन से संबंधित सभी परेशानियों को दूर करने की शक्ति रखता है।
सर्वेगुणाकांचनम आश्रयन्ति....
यह यन्त्र मन्त्र वेदों से प्रमाणित है,यह आगे चलकर मुझे अध्ययन करने के बाद पता चला,और प्रत्येक सदगृहस्थ के लिये उपयोगी है,तामसी वृत्तियों वाले कृपया इसका अनुसरण नही करें,और न ही लोभ से इसे अपने जीवन में अपनायें,अन्यथा लाभ की जगह पर हानि होने की अधिक संभावना मानी जा सकती है। इसका अनुसरण प्रत्येक स्त्री या पुरुष कर सकता है,अगर कोई व्यक्ति कम पढा लिखा है तो वह किसी योग्य लोभ रहित ब्राह्मण से यंत्र का निर्माण करवाकर मंत्रों का जाप करवा सकता है। नवरात्र, धनतेरस, दीपावली या अन्य किसी शुभ-मुहूर्त्त में इस यन्त्र की रचना की जाती है, मंगलवार का दिन भी यदि उस दिन हो तो अति उत्तम । अर्द्ध-रात्रि में स्नान करके लाल वस्त्र पहन कर, भोजपत्र पर अथवा ताम्रपत्र पर अष्टगन्ध की स्याही तथा अनार की या पारिजात की कलम से, इस यन्त्र की रचना करें । श्री कुबेर यंत्र शुद्धि और सिद्ध किए बिना प्रभावहीन बताया गया है| यदि यह कार्यआप एक सुयोग्य पंडित से कराएं तो बेहतर है| अधिक लाभ प्राप्ति हेतु सिद्ध और शुद्ध श्री कुबेर यन्त्र आप यंत्र को आप हमारे से बनवा भी सकते हैं..
मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है लेकिन कुबेर धन के द्वारपाल हैं। इनकी पूजा के बगैर लक्ष्मी घर में टिक ही नहीं पाती। ऐसे में घर या दुकान पर कुबेर यंत्र रखकर मां लक्ष्मी को रिझाया जा सकता है। कैसे रखें कुबेर यंत्र जानें जरा-
कुबेर की मूर्ति को घर या ऑफिस में और नित्य पूजा करें। ॐ श्रीं कुबेराय नमः के जाप भी करें।
कुबेर यन्त्र को दीपावली के दिन अपने घर या तिजोरी में स्थापित करे इससे ज्यादा अच्छ शुभ दिन कोई हो ही नहीं सकता। अपने कार्य में सफलता पाने के लिए कुबेर यन्त्र को भोजपत्र पर बनवा कर अपनी जेब में रखने से भी परिणाम अच्छे आने लगते हैं।
स्वर्ण लाभ, रत्न लाभ, गड़े हुए धन का लाभ एवं पैतृक सम्पत्ती का लाभ चाहने वाले लोगों के लिए कुबेर यंत्र अत्यन्त सफलता दायक है। यह यंत्र स्वर्ण और रजत पत्रों से भी निर्मित होता है। कुबेर यंत्र को जिस घर में रखा जाता है वहां धन की कमी कभी नहीं होती है. कुबेर को धन के रक्षक का पहरेदार बोला जाता है. माता लक्ष्मी की कृपा से कुबेर संसार के धन का पहरा करते हैं. जो व्यक्ति कुबेर यंत्र का पूजन करता है उसके पास धन की कमी नहीं होती है |देवता भी अपना खजाना कुबेर के पास रखते है, अतः अक्षय धन को प्राप्त करने के लिए श्रीयंत्र की पूजा की आवश्यकता तो हैं, ही परंतु कुबेर यंत्र के पूजन से तिजोरी में कुबेर यंत्र की स्थापना से व्यक्ति व जातक अक्षय धन सम्पदा का स्वामी हो जाता हैं, देवताओं के खजांची भगवान कुबेर की अक्षय कृपा प्राप् होती है। कुबेर धन को संचित रखने का कार्य करते हैं। कुबेर की कृपा जिस पर हो उसके जीवन में कभी भी धन-वैभव की कमी नहीं होती है। कुबेर की कृपा से घर धन-धान्य से भर जाता है और मनुष्य को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। यदि आपको धन संबंधी कोई भी परेशानी है तो श्री संपूर्ण कुबेर यंत्र आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। इसके मंगल प्रभाव में धन के मार्ग प्रशस्त होते हैं और धन को संचित कर के रखने में सहायता मिलती है। श्री संपूर्ण कुबेर यंत्र धन से संबंधित सभी परेशानियों को दूर करने की शक्ति रखता है।
कुबेर यंत्र के लिए "ऊँ वैश्रवणाय स्वाहा" या "ऊँ कुबेराय नमः` मंत्र का दस हजार या सवालाख जाप करने से घर धन से भर जाता है। ऐसा विद्वानों का मानना है।
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कुबेर यंत्र का उपयोग -----
कुबेर यंत्र की पूजा करने के बाद किसी शुभ दिन विशेषकर धनतेरस और दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा के बाद मंदिर, पूजा स्थल, धनकोष या तिजोरी में रखना चाहिए। लेकिन हां, इसे प्रतिदिन धूप-दीप अवश्य करना चाहिए। कुबेर यंत्र की स्थापना व पूजा करने के लिए कुंडली का निरीक्षण कराना जरूरी नहीं।
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कुबेर यंत्र के प्रभाव -------
कुबेर यंत्र सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है, जिसका स्वामी गुरु (बृहस्पति) है। कुबेर यंत्र को घर या कार्यालय में स्थापित करने से भाग्य वृद्धि होती है। कुबेर यंत्र कई कारणों से बेहद उपयोगी माना जाता है। जानकार मानते हैं कि:
* कुबेर के प्रभाव से अपार धन प्राप्ति व आय के नए मार्ग खुलते हैं।
* स्वर्ण व रजत पत्रों पर निर्मित कुबेर यंत्र, स्वास्थ के लिए सबसे अधिक प्रभावी होता है। सोने व चाँदी के पत्रों की जगह, भोजपत्र पर बना कुबेर यंत्र भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
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कुबेर यंत्र विधान---
घर के अन्दर स्वच्छ स्थान पर या पूजा स्थान में लक्ष्मी माता का चित्र स्थापित कर लेना चाहिये,उसी के साथ अपने द्वारा पूजे जाने वाले या माने जाने वाले इष्ट या गुरु का चित्र स्थापित कर लें,इसके बाद लक्ष्मी का सुगंधित द्रव्य लेकर षोडशोपचार से पूजा करके लक्ष्मी का विष्णु सहित आवहान करना चाहिये,इसके साथ ही कुबेर यंत्र की स्थापना कर लेनी चाहिये,यंत्र अधिक प्रभावशाली है,इसी लिये कहा भी गया है कि इस यंत्र को पिता अपने तामसी बेटे को भी न दे,अन्यथा उसके कुल का विनाश हो सकता है। प्राचीनकाल में इसका स्थापन ऋषि मुनि अपने आश्रम में किया करते थे,और इसी की सहायता से हजारों शिष्यों और अतिथिओ की सेवा सुश्रूषा किया करते थे।नवरात्र, धनतेरस, दीपावली या अन्य किसी शुभ-मुहूर्त्त में इस यन्त्र की रचना की जाती है, मंगलवार का दिन भी यदि उस दिन हो तो अति उत्तम । अर्द्ध-रात्रि में स्नान करके लाल वस्त्र पहन कर, भोजपत्र पर अथवा ताम्रपत्र पर अष्टगन्ध की स्याही तथा अनार की या पारिजात की कलम से, इस यन्त्र की रचना करें ।
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कुबेर यन्त्र निर्माण का विधान----
अगर बार बार आपकी धनहानि हो रही हो ,या आप कर्जे में फसे हुए है लाख प्रयत्न के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है की धन कहा से आये ।या इसी प्रकार की कोई भी धन सम्बन्धी समस्या से आप परेशान है तो नवरात्र, धनतेरस, दीपावली या अन्य किसी शुभ-मुहूर्त्त में इस यन्त्र की रचना कर अपने घर, व्यापारिक जगह पर स्थापित करे इस यन्त्र के अधिपति देवता कुबेर है । इस यन्त्र की स्थापना के पश्चात दरिद्रता का नाश होकर धन व यश की प्राप्ति होती है स्वर्ण लाभ, रत्ना लाभ, गड़े हुए धन का लाभ एवं पैतृक सम्पति का लाभ चाहने वालो के लिए कुबेर यन्त्र अत्यंत सफलता दायक है | यह अनुभूत परीक्षित प्रयोग है इस यन्त्र की अचल प्रतिष्ठा होती है|
इस यंत्र को किसी सुपात्र या अच्छे व्यक्ति से गुरु पक्ष या रवि पक्ष अथवा नवरात्रि में अथवा दिवाली या विजयकाल में बनाना चाहिये,फ़िर उसका यथोचित प्रकार से स्थापन किसी चौकी पर करना चाहिये,और उसे द्र्श्य रखने के लिये चौकी के ऊपर किसी प्लास्टिक की पन्नी को पूरी तरह से लपेट कर रखना चाहिये,जिससे आगे के समय में चूहों या घर के सदस्यों या बच्चों के द्वारा उसे खराब नही किया जा सके,साथ ही ध्यान रखना चाहिये कि कभी पूजा करते वक्त स्थापना किये स्थान से उसे हटाना नही चाहिये,और न ही उस चौकी के अन्दर किसी प्रकार की धक्का मुक्की हो,जिससे वह बनाया हुआ मंडल खराब न हो जाये। साफ़ सफ़ाई करने के लिये मोर पंखी का स्तेमाल करना चाहिये और हल्के से मोरपंखी से उस पर जमी धूल आदि को साफ़ करते रहना चाहिये।श्री कुबेर यंत्र शुद्धि और सिद्ध किए बिना प्रभावहीन बताया गया है| यदि यह कार्यआप एक सुयोग्य पंडित से कराएं तो बेहतर है| अधिक लाभ प्राप्ति हेतु सिद्ध और शुद्ध श्री कुबेर यन्त्र आप यंत्र को आप हमारे से बनवा भी सकते हैं..(पंडित दयानन्द शास्त्री--09039390067 --वाट्स एप) अपने नाम गोत्र आदि के अनुसार ||
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जानिए कैसे करें कुबेर यंत्र का निर्माण----
निर्माण के लिये सामान इस प्रकार से है:-
एक चौकी आम की
एक सफ़ेद कपडा जो चौकी पर समतल रूप से बिछाया जा सके और चौकी के नीचे उसे सूतली से बांधा भी जा सके,चौकी भी इतनी बडी हो कि उसके अन्दर १८x१८ के चौके बनाये जा सकें।
काले रंग का धागा जिससे चौकी के ऊपर चौके बनाने की मार्किंग की जा सके।
सफ़ेद रंग के लिये चावल
हरे रंग के लिये मूंग
काले रंग के लिये काले उडद (माह)
लाल रंग के लिये मसूर की दाल
पीले रंग के लिये चने की दाल
इस को बनाने के बाद चौकी को जहां पर स्थाप्ति किया गया है,उसी चौकों के ऊपर उत्तर दिशा में सांप का आकार,पश्चिम में शंख का आकार,दक्षिण में गदा का आकार,और पूर्व में कमल के फ़ूल का आकार बना लेना चाहिये।
इस काम को करने के बाद इसे स्थापित करने का मंत्र आदि का पाठ करना चाहिये।
विनियोग
दाहिने हाथ में पुरुष और बायें हाथ में स्त्री जल लेकर इस मंत्र को पढे और मंत्र को पढने के बाद हाथ का पानी चौकी के चारों तरफ़ घडी की दिशा के अनुसार हाथ को घुमाकर छोड दे।
"ऊँ अस्य कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषि: बृहती छंद: शिवमित्र धनेश्वर देवता,दारिद्रय विनाशने पूर्णसमृद्धि सिद्धयर्थे जपे विनियोग:"।
ध्यान
विनियोग करने के बाद इस श्लोक को पढकर श्री कुबेर देवता का ध्यान करे-
"ऊँ मनुजबाहुविमान वरस्थितं गरुडरत्नाभिं निधिनायकम।
विवसखं मुकुटादिभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलम॥
अर्थ
मनुष्य की बाजुओं को विमान बनाकर उन के अन्दर यात्रा करने वाले,रत्नों से विभूषित गरुड को धारण करने वाले,संसार की सभी सम्पदाओं से युक्त विव के सखा,मुकुट आदि शुशोभित एक हाथ में गदा और और दूसरे से वर देने की मुद्रा के रूप में,धन के देने वाले तुन्दिल नाम कुबेर अन्तर्ज्ञान में रहें।
मन्त्र
ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्री ह्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम: स्वाहा।
दस हजार सुगन्धित ताजे फ़ूलों को लेकर इस मंत्र के जाप के साथ यंत्र को पुष्पांजलि देनी चाहिये,फ़िर इस मंत्र का सात लाख जाप सात दिन के समय में करना चाहिये,और आठवें दिन सात हजार बार घी,तिल,शहद,पंचमेवा,खीर,लौंग,जौ,सात अनाज मिलाकर आम की लकडी के साथ हवन करना चाहिये,इससे यह यंत्र सिद्ध हो जाता है।
कुबेर मंत्र---
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा।
इस मंत्र का यंत्र के सामने उत्तराभिमुख बैठ कर रोजाना पांच माला का जाप करना चाहिये,खूब संपत्ति आजाये फ़िर भी इस मंत्र को नही छोडना चाहिये,आठवें दिन ३५० मंत्रों की घी की आहुति देनी चाहिये।
यह यंत्र और मंत्र जीवन की सभी श्रेष्ठता को देने वाला,ऐश्वर्य,लक्षमी,दिव्यता,पद प्राप्ति,सुख सौभाग्य,व्यवसाय वृद्धि अष्ट सिद्धि,नव निधि,आर्थिक विकास,सन्तान सुख उत्तम स्वास्थ्य,आयु वृद्धि,और समस्त भौतिक और पराशुख देने में समर्थ है। लेकिन तुलसीदास की इस कहावत को नही भूलना चाहिये,"सकल पदारथ है जग माहीं,भाग्यहीन नर पावत नाहीं",जिनके भाग्य में लक्षमी सुख नही है,वे इसे ढकोसला और न जाने क्या क्या कह कर दरकिनार कर सकते हैं।
श्री कुबेर यंत्र शुद्धि और सिद्ध किए बिना प्रभावहीन बताया गया है| यदि यह कार्यआप एक सुयोग्य पंडित से कराएं तो बेहतर है| अधिक लाभ प्राप्ति हेतु सिद्ध और शुद्ध श्री कुबेर यन्त्र आप यंत्र को आप हमारे से बनवा भी सकते हैं..(पंडित दयानन्द शास्त्री--09039390067 --वाट्स एप) अपने नाम गोत्र आदि के अनुसार ||
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अगर बार बार आपकी धनहानि हो रही हो ,या आप कर्जे में फसे हुए है लाख प्रयत्न के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है की धन कहा से आये ।या इसी प्रकार की कोई भी धन सम्बन्धी समस्या से आप परेशान है तो नवरात्र, धनतेरस, दीपावली या अन्य किसी शुभ-मुहूर्त्त में इस यन्त्र की रचना कर अपने घर, व्यापारिक जगह पर स्थापित करे इस यन्त्र के अधिपति देवता कुबेर है । इस यन्त्र की स्थापना के पश्चात दरिद्रता का नाश होकर धन व यश की प्राप्ति होती है स्वर्ण लाभ, रत्ना लाभ, गड़े हुए धन का लाभ एवं पैतृक सम्पति का लाभ चाहने वालो के लिए कुबेर यन्त्र अत्यंत सफलता दायक है | यह अनुभूत परीक्षित प्रयोग है इस यन्त्र की अचल प्रतिष्ठा होती है|यन्त्र तैयार हो जाने पर पश्चिम की ओर मुँह करके बैठें, यन्त्र को लाल आसन पर स्थापित करें, उसका लाल चन्दन व लाल पुष्प से पूजन करें, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें और तत्पश्चात् कुबेर मन्त्र का जप आरम्भ करें –
"श्री कुबेराय नमः" अथवा "ॐ श्रीं नमः"
जप की समाप्ति पर निम्न मन्त्र स्तुति का पाठ करें –
"कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता ।
तां देवी प्रेषया त्वं शू यद्-गृहे ते नमो नमः ।।"
प्रथम रात्रि को ५०००, फिर नित्य प्रति १००० मन्त्र जपें । इस प्रकार दो लाख जप पूरा हो चुकने पर हवन और दान करें । प्रारम्भिक दिवस में भी कुमारी कन्या को भोजन कराकर दक्षिणा दें । यह प्रयोग दरिद्रता-निवारण में अति प्रभावशाली है।
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2. कुबेर कॉलम-----
मंगलवार या शुक्रवार को काष्ठ की चौकी पर निम्न प्रकार पीसे हुए चावल से कुबेर यन्त्र की रचना करें ।
इस यन्त्र कप धनाधीश कुबेर के चित्र या मूर्ति के सामने रखें । अब 9 सिक्के इन लिखे हुए अंको पर रखे । लाल पुष्प चित्र तथा यन्त्र पर अर्पित करें । धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित करें । निम्न श्लोकों का 11 बार उच्चारण करें ।
"मनुज-बाह्य-विमान-वर-स्थितं, गरुड-रत्न-निभं निधि-नायकम् ।
शिव-सखं मुकुटादि-विभूषितं, वर-गदे दधतं भज तुन्दिलम् ।।
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये
धन-धान्य-समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा ।।"
जप की समाप्ति पर निम्न स्तुति का पाठ करें –
"कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता ।
तां देवी प्रेषया त्वं शू यद्-गृहे ते नमो नमः ।।"
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कैसे करें कुबेर यंत्र की पूजा---
अपने घर के पूजन स्थल पर पूर्व दिशा में मंगलवार या शुक्रवार के दिन इस यंत्र को स्थापित करें। इस यंत्र की दाईं ओर एक कलश की भी स्थापना करें। कलश पर कुमकुम और चंदन का मिलक लगाएं। यंत्र पर चंदन का टीका लगाएं और ध्यान रहे कोई भी व्यक्ति इस पर बेवजह हाथ न लगाए।
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कुबेर यंत्र का मंत्र ---
कुबेर यंत्र की स्थापना के लिए 'ऊँ वैश्रवणाय स्वाहा' या 'ऊँ कुबेराय नमः' मंत्र का दस हजार या सवालाख जाप करना शुभ माना जाता है।
कृपया ध्यान देवें---(नोट करें) ---- श्री कुबेर यंत्र शुद्धि और सिद्ध किए बिना प्रभावहीन बताया गया है| नवरात्र, धनतेरस, दीपावली या अन्य किसी शुभ-मुहूर्त्त में इस यन्त्र की रचना की जाती है, मंगलवार का दिन भी यदि उस दिन हो तो अति उत्तम । अर्द्ध-रात्रि में स्नान करके लाल वस्त्र पहन कर, भोजपत्र पर अथवा ताम्रपत्र पर अष्टगन्ध की स्याही तथा अनार की या पारिजात की कलम से, इस यन्त्र की रचना करें । यदि यह कार्यआप एक सुयोग्य पंडित से कराएं तो बेहतर है| अधिक लाभ प्राप्ति हेतु सिद्ध और शुद्ध श्री कुबेर यन्त्र आप यंत्र को आप हमारे से बनवा भी सकते हैं..(पंडित दयानन्द शास्त्री--09039390067 --वाट्स एप) अपने नाम गोत्र आदि के अनुसार ||
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री--(09039390067 --वाट्स एप) एवं उनके योग्य विद्वान आचार्यों द्वारा व्यापर में पभ, धन प्राप्ति एवं स्थायित्व हेतु आज धन तेरस के शुभ अवसर पर सामूहिक रूप से मात्र 21 "कुबेर यंत्रों" (गोल्ड प्लेटड/भोज पत्र पर अंकित) को वैदिक मन्त्रों द्वारा सिद्ध किया जायेगा|
यदि आप इन सिद्ध,शुद्ध एवं प्राण प्रतिष्ठित "कुबेर यन्त्र" को प्राप्त करना चाहें तो आपको पंजीयन/बुकिंग/रजिस्ट्रेशन करवाकर, उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं
श्रीमान जी, धन्यवाद..
Thank you very much .
पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
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