: जानिए दीवाली पर माता लक्ष्मी की सम्पूर्ण पूजन सामग्री

जानिए दीवाली पर माता लक्ष्मी के पूजन की सम्पूर्ण सामग्री -





जानिए दीवाली पर माता लक्ष्मी की सम्पूर्ण पूजन सामग्री ---

दीपावली के दिन प्रत्येक व्यक्ति, वो चाहे व्यवसाय से हो, सेवा कार्य से हो या नौकरी से, प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यवसायिक स्थान एवं घर पर मां लक्ष्मी एवं गणेश जी का विधिवत पूजन कर धन की देवी लक्ष्मी से सुख-समृद्धि एवं गणेश जी से बुद्धि की कामना करता है। 

ये हैं श्री महालक्ष्मी (दीपावली पूजन) सामग्री --

( पूजन संपन्न करवाने पंडित जी/ आचार्यों के ध्यानार्थ)--

चंदन ,काशी 
रोली, हल्दी वाली
मौली, कलावा, लाल पीला वाला
अवीर ,गुलाल ,मेहदी 
सिन्दूर 
हल्दी, पिसी
जनेऊ जोड़े ,3
कर्पूर देशी (50)ग्राम 
धूपवती 
माचिस 
रुई
रुईवती, लम्बीवाली 
दीपक  (3)
घी 
नारीयल  (2)
पंचमेवा  (100)ग्राम 
पंचामृत 
पान  (15)नग
लोग, इलायची, (10+10 )नगर
फल  (1)दर्जन 
फल  पांच प्रकार के  (सीता फल,सिंगाड़ा, अनार, आदि )
फूल,   फूलमाला (3)
दूर्वा 
प्रसाद, मीठा 
लाल वस्त्र सूती  (1)मीटर 
सफेद वस्त्र सूती (1)मीटर
रेशमी वस्त्र पीला या  लाल  (सवा मीटर    )गेंहू  (500)ग्राम 
चावल, सावुत  (500)ग्राम 
खारक(छुआरे),   वादाम,  हल्दी गांठ, (16,+16+16)
गोल,सुपारी बड़ी  (15)मांगरोली 
इत्र 
लक्ष्मी जी की प्रतिमा या तस्वीर  (1)
माता की पुड़िया --
लक्ष्मी जी की सौभाग्य सामग्री 
(साड़ी, ब्लाउज,पेटीकोट,चूड़ी बिछूड़ी ,आदि ),      
कमल,पुष्प 
पान,वीणा  ( लगा हुआ सादा)1
गन्ना 
गुण 
धना  (खड़ा)
लाई,वतासा
नागर वेल का पान,
नागरमोथा, 
कमलगटटा, 
धूप  (50)ग्राम 
कंडा  (2)
होम,पात्र 
दीप मालिका के लिए दीपक  (16)नग
तेल मीठा (100)ग्राम       

विशेष--- 
आम पत्ते, तोरण 
पटा  (2)
थाली  (2)
लोटा  (2)
कटोरी  (5)चम्मच 
आसन,
शुद्ध जल,तीर्थजल 


(यदि हवन करते हो तो )हवन सामग्री  (500)ग्राम बनी हुई 
हवन लकड़ी  (3)किलो
बील गूदा  (250)ग्राम।।।   
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मां की पूजा की शुरुआत उनके वस्त्र से करें। उनकी पसंदीदा रंग लाल, गुलाबी और पीला है। उनके लिए वस्त्र खरीदते हुए ध्यान रखें कि आप इस रंग के वस्त्र जरूर खरीदें। माता के स्थान को सुगंधित करने के लिए केवड़ा, गुलाब और चंदन के इत्र का इस्तेमाल करें।

दिवाली की पूजा शुरू करने से पहले ध्यान रखें कि आपके पास वो चीजें हैं जो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करती हैं या नहीं। इसके लिए आपको बढ़ा-चढ़ा कर खर्च करने की या किसी दिखावे की जरूरत नहीं होती क्योंकि बहुत ही साधारण सी चीजें भी मां को प्रसन्न करने के लिए काफी हैं। लेकिन हां इसमें कोई गलती ना हो ये ध्यान रखना आपका काम है। मां की पूजा की शुरुआत उनके वस्त्र से करें। उनकी पसंदीदा रंग लाल, गुलाबी और पीला है। उनके लिए वस्त्र खरीदते हुए ध्यान रखें कि आप इस रंग के वस्त्र जरूर खरीदें। इसके बाद फूलों की बात करें तो कमल और गुलाब मां लक्ष्मी के प्रिय फूल हैं। पूजा में फलों का भी खास महत्व होता है। फलों में उन्हें श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े पसंद आते हैं। आप इनमें से कोई भी फल पूजा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। माता के स्थान को सुगंधित करने के लिए केवड़ा, गुलाब और चंदन के इत्र का इस्तेमाल करें। अनाज रखना हो तो चावल रखें वहीं मिठाई में मां लक्ष्मी की पसंद शुद्ध केसर से बनी मिठाई या हलवा, शीरा और नैवेद्य है।

दीये के लिए आप गाय के घी, मूंगफली या तिल्ली के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करते हैं। पूजा के लिए अहम दूसरी चीजों में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र शामिल हैं।
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ऐसे करें पूजा की तैयारी--
सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजा करने वाले मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।

इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचों बीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इन थालियों के सामने पूजा करने वाला बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।
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दीप स्थापना:----

सबसे पहले पवित्रीकरण करें। आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें: 

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः

अब आचमन करें....

ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ माधवाय नमः

हाथों को धो लें....

ॐ हृषिकेशाय नमः 

आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है। फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रधान होता है। 

जानिए कैसे करें संकल्प:  

आप हाथ में अक्षत लेकर, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। 
सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए। हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है।

हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। 16 माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए। 16 माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन होता है। रक्षाबंधन विधि में मौलि लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए। अब आनंदचित्त से निर्भय होकर महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए। 
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यह हैं दीवाली पूजन विधि ---

सर्वप्रथम गणेश और लक्ष्मी का पूजन करें। 

ऐसे करें दीपक पूजन---
दीपक जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर जीवन में ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। दीपावली के दिन पारिवारिक परंपराओं के अनुसार तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करने का विधान है। 

उपरोक्त पूजन के पश्चात घर की महिलाएं अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण इत्यादि सुहाग की संपूर्ण सामग्रियां लेकर मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। अगले दिन स्नान इत्यादि के पश्चात विधि-विधान से पूजन के बाद आभूषण एवं सुहाग की सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। 

अब श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। 

पूजा के दौरान हुई किसी ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए श्रीलक्ष्मी से क्षमा-प्रार्थना करें।

न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। 
यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों। 

भगवती श्रीलक्ष्मी को यह सब पूजन समर्पित है.... 
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आरती -  (गणेश जी की आरती )
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा ।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
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आरती--- (लक्ष्मी जी की आरती ) ----

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता 
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता 
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता 
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता 
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता 
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता 
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता 
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता 
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता 
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
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कृपया ध्यान दें-----

----पूजा प्रारम्भ करने से पहले जलपत्र एवं कलश मे गंगा जल मिला लें । 
----ताम्बूल बनाने के लिये पान के पत्ते को उल्टा करके उस पर लौंग इलायची सुपारी एवं कुछ मीठा रखें । 
----दुर्वा में तीनपत्ती होनी चहिये ।
----गणपति पर तुलसी दल ना चढ़ायें ।
----श्री लक्ष्मी जी को कमल का फूल बहुत प्रिय है ।
---- विशेष सावधानी--जमीन पर गिरा हुआ ,बासी ,कीड़ा खाया हुआ फूल न चढ़ायें ।
---- टूटी फूटी मुर्तियों को नदी मे, मंदिर में या पीपल के नीचे विसर्जित करे । 
----लक्ष्मी प्राप्ति के लिये लक्ष्मी मंत्र कमलगट्टे की माला पर जपना अधिक उत्तम होता है।
---- धन प्राप्ति के लिये लाल आसन उत्तम रह्ता है ।
----ध्यान रहे कि पूजा करते समय या मंत्र उच्चारण के समय हाथ कभी भी खाली ना रहे । हाथ मे फूल या चावल अवश्य रखें ।
---- घी का दीपक भगवान की मूर्ति के दाई ओर एवं तेल का दीपक बाई ओर रखे। धूप जल पात्र बाई ओर ही स्थापित करें।
----रक्षा सूत्र (मौली) बांधते समय हाथ मे पैसा एवं अक्षत ले खाली हाथ रक्षा सूत्र ना बांधे ।
---- यदि पूजा करते समय कोइ भी चीज़ कम पड़ जाये तो आप उसकी जगह साबुत लाल चावल चढ़ा सकते है ।
----दीपावली पूजन के पश्चात सभी सामग्री देवि एवं देवताओ की स्थापना को सारी रात यथा स्थान रहने दे। विसर्जन अगले दिन करे । ध्यान रहे कि गणेश लक्ष्मी जी की मूर्ति को विसर्जन नहीं करना है, एक वर्ष रखना होता है अगले वर्ष नई मूर्तियो के पूजन के बाद ही पुराने वर्ष की मूर्ति को विसर्जन करना चहिये ।
---- पूजन के दौरान चढ़ाई हुइ दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दे या मंदिर में दान करे ।
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हो सकता है की आपसे सभी सामग्री एकत्रित न हो पाए | श्रद्धा एवं सुलभता से जो मिले उसी से माँ लक्ष्मी का पूजन करें | घर – मंदिर में दिया बाती कर स्तोत्र पाठ अवश्य करें | आश्रितों को भेंट देवे | 

दीपावली की शुभ कामना सहित।।  

शुभम भवतु।। कल्याण हो।। 

पण्डित दयानन्द शास्त्री।।







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