festival

शास्त्रानुसार इस विधि से करें गणपति विसर्जन तो होगी हर मनोकामना पूरी।









इस 
समय संपूर्ण विश्व गणेशोत्शव  हर्षोल्लास के  साथ मना  रहा है। लोग गणेश चतुर्थी के दिन अपने-अपने घरों, पांडालों में गणपति जी की स्थापना करते हैं और १० दिनों बाद अर्थात्  अनंत चतुर्दशी को को गणेश जी की विदाई अर्थात् विसर्जन करते हैं।
शास्त्रानुसार, सही विधिपूर्वक गणपति भगवान का विसर्जन करने पर व्यक्ति को विद्या, बल, बुद्धि , धन -धान्य, संपत्ति, सुख और शांति मिलती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इस दिन सबको शुद्ध तन और मन से गणपति भगवान का ध्यान और उपवास करना चाहिए तथा गणेश विसर्जन के पश्चात् सायंकाल भगवन के प्रसाद से उपवास तोड़ना चाहिए।
गणेश विसर्जन की शास्त्रसम्मत विधि-
*      सर्वप्रथम पूजा  स्थान को  गौमूत्र और गंगाजल से पवित्र करने के पश्चात्  भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा कर  धूप, दूर्वा, लाल पुष्प, सिन्दूर, नैवेद्य, पंचामृत, मोदक और फल अर्पण करना चाहिए। 
*      भगवान गणेश को विशेष रूप से लाल रंग के वस्त्र धारण करवाने चाहिए तथा गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन एवं वस्त्र का दान करना चाहिए दक्षिणा देना चाहिए।
*      अंत में गणेश जी की कपूर से आरती कर उन्हें किसी पवित्र नदी, जलाशय में बहते हुए पानी में ढोल नगाड़ों की ध्वनि के साथ विसर्जित करना चाहिए। 
*      हाथ जोड़कर उन्हें अपने घर आने के लिए धन्यवाद् बोलना चाहिए, इन १० दिनों में हुई गलतियों के लिए क्षमा माँगनी चाहिए तथा जीवन में लक्ष्य प्राप्ति, सुख समृद्धि, शांति एवं मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद माँगना चाहिए।
और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए
(यान्तु देवगणाः सर्वे,पूजामादय मामकीम।
इष्ट-काम-समृद्ध्यर्थं, पुनरागमनाय च।।)
अर्थात, सभी देवगण मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकार कर अभीष्ट कामनाओं की समृद्धि के लिए पुनः आने के लिए यहाँ से विदा हों।
-जय श्री गणेश। 

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