करेगा आपके सभी संकट को दूर-- 9 नवंबर 2017 को बन रहा है शक्तिशाली "गुरु-पुष्य योग"---
प्रिय पाठकों/मित्रों, आगामी 9 नवंबर 2017 (गुरूवार) की दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर एक ऐसा योग बनने जा रहा है जो वर्ष में मात्र 2-3 बार ही आता है लेकिन अगर इस योग को सही समय पर इस्तेमाल में लाया जाए तो दिल की हर इच्छा पूरी हो सकती है।इस दिन चन्द्रमा कर्क राशि में रहेगा और षष्टी तिथि समाप्त होकर सप्तमी लग जाएगी |
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार गुरु-पुष्य नक्षत्र बहुत कम बनता है। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन ही पड़े तब यह योग बनता है। यह योग एक साधक के लिए बेहद शुभ माना जाता है किंतु अन्य लोग भी इससे कई लाभ पा सकते हैं। 'गुरु पुषय नक्षत्र' एक ऐसा विशेष ज्योतिषीय योग है जिस दौरान गुरु ग्रह का का पुष्य नक्षत्र में प्रवेश होता है। इस नक्षत्र में देवगुरु बृहस्पति के आ जाने से यह समय अत्यंत प्रभावशाली बन जाता है। इसदिन देवगुरु बृहस्पति की अराधना के अलावा महालक्ष्मी की उपासना भी की जाती है। ऐसी मान्यता है कि धन की देवी इस अत्यंत शुभ योग में अपने भक्त पर कृपा बरसाती हैं। इसके अलावा इस नक्षत्र में किसी भी प्रकार का पूजा कर्म फलदायी ही सिद्ध होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार गुरूवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र आता है तब बड़ा ही उत्तम योग बनता है जिसे गुरू पुष्य योग के नाम से जाता है। गुरू स्वर्ण, धन एवं मांगलिक कार्यों के कारक हैं। इसलिए गुरू पुष्य योग में सोना, वाहन अथवा स्थायी संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी धन अर्जित करते हैं वह स्थायी रहता है।
गुरू पुष्य योग के साथ ही अमृत सिद्घि योग भी बना हुआ है। ये दोनों ही योग बहुत ही शुभ माने जाते हैं। इन योगों में कोई भी वस्तु खरीदने अथवा नया काम शुरू करने पर 100 प्रकार के दोषों का प्रभाव नष्ट होता है। पुष्य नक्षत्र को एक शाप मिला हुआ है इसलिए इस नक्षत्र में विवाह कार्य नहीं किया जाता है। पुष्य नक्षत्र आमतौर पर शुभ होता है लेकिन शुक्रवार के दिन अथवा बुधवार के दिन यह नक्षत्र हो तब कोई नया काम कभी नहीं करना चाहिए और न खरीदारी करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की गुरुपुष्यामृत योग बहुत कम बनता है जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब बनता है गुरु पुष्य योग। गुरुवार के दिन शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से संबंधित कार्य करना बहोत ही शुभ एवं मंगलमय होता है। पुष्य नक्षत्र भी सभी प्रकार के शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से जुडे कार्यो के लिये अति शुभ माना गया है। जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता तब बन जाता है अद्भुत एवं अत्यंत शुभ फल प्रद अमृत योग। एक साधक के लिए बेहद फायदेमंद होता हैं "गुरुपुष्यामृत योग"। इस दिन विद्वान एवं गुढ रहस्यो के जानकार मां महालक्ष्मी कि साधना करने कि सलाह देते है। इस विशेष दिन साधना करने पर बहुत अच्छे एवं शीघ्र परीणाम प्राप्त होते है। मां महालक्ष्मी का आह्वान कर उनकी कृपा द्रष्टि से समृद्धि और शांति प्राप्त कि जा सकती है।
'पाणिनी संहिता' में "पुष्य सिद्धौ नक्षत्रे" के बारे में यह लिखा है-
सिध्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि सिध्यः | पुष्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि इति पुष्य ||
अर्थात पुष्य नक्षत्र में शुरू किये गए सभी कार्य सिद्ध होते ही हैं.. फलीभूत होते ही हैं | पुष्य शब्द का अर्थ ही है कि जो अपने आप में परिपूर्ण है.. सबल है.. पूर्ण सक्षम और पुष्टिकारक है..| हिंदी शब्दकोष में 'पुष्टी' शब्द का निर्माण संस्कृत के इसी पुष्य शब्द से हुआ | २७ नक्षत्रों में से एक 'पुष्य नक्षत्र' है, और इस दिन जब गुरुवार भी हो तो उसे गुरु पुष्य नक्षत्र या 'गुरु पुष्यामृत योग' कहते हैं | इस दिन कोई भी साधना अवश्य शुरू करें, और आँख मूँद कर उसकी सिद्धि का यकीन करें और पूर्ण तन्मयता के साथ सहना संपन्न करें | गुरु साधना और गुरु पूजन तो प्रत्येक शिष्य को इस दिन करना अनिवार्य ही है |
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री का मानना है कि गुरूपुष्य, रविपुष्य एवं शनि पुष्य जितना शुभ फलदायी होता है उतना ही बुध और शुक्रवार का पुष्य हानिकारक होता है। 27 नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र जिसे नक्षत्रों का राजा कहा जाता है इस दिन आकाश मंडल में मौजद रहेगा। इस नक्षत्र का नाम है पुष्य नक्षत्र और इसका स्वामी ग्रह शनि माना जाता है जो स्थायित्व प्रदान करने वाला ग्रह है। गुरु पुष्य योग में नवीन प्रतिष्ठान, आर्थिक विनिमय, लेन-देन, व्यापार, उद्योग निर्माण, गुरु दर्शन और मंदिर निर्माण तथा यज्ञादि कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ है। पुष्य नक्षत्र उर्ध्वमुखी नक्षत्र है। इस कारण इसमें किए गए कार्य पूर्णता तक पहुंच जाते हैं। इसलिए इस नक्षत्र में भवन निर्माण, ध्वजारोहण, मंदिर, स्कूल और औषधालय निर्माण विशेष फलदायक होता है। इसके साथ ही इस नक्षत्र में शपथ ग्रहण, पदभार ग्रहण, वायु यात्रा और तोरण बंधन विशेष यश दिलाता है।
सामान्य लोग इस दिन स्वर्ण खरीदते हैं, यदि धनतेरस के दिन स्वर्ण/रजत नहीं खरीद पाए तो इस दिन खरीद सकते हैं, इससे भी निरंतर श्री वृद्धि होती रहती है | इसके साथ ही कोई नई वस्तु, नया कारोबार, वाहन गृह प्रवेश आदि कर सकते हैं, इस दिन जो भी खरीदते हैं वह स्थायी संपत्ति सिद्ध होती है | पुष्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना अथवा पोषण करने वाला तथा इस शब्द का शाब्दिक अर्थ ही अपने आप में इस नक्षत्र के व्यवहार तथा आचरण में बहुत कुछ बता देता है। कुछ पुष्य नक्षत्र को तिश्या नक्षत्र के नाम से भी संबोधित करते हैं। तिश्या शब्द का अर्थ है शुभ होना तथा यह अर्थ भी पुष्य नक्षत्र को शुभता ही प्रदान करता है।
साधकों को इस दिन लक्ष्मी या श्री से सम्बंधित साधना करनी चाहिए | साथ ही किसी भी प्रकार की साधना चाहे सौन्दर्य से सम्बंधित हो, कार्य सिद्धि हो, विद्या प्राप्ति के लिए हो, कर सकते हैं | इस दिन आप किसी भी यन्त्र का लेखन करके उसको प्राण-प्रतिष्ठित कर सकते हैं | इस दिन आप किसी भी रत्न को सिद्ध कर सकते हैं | शिष्यों को इस दिन गुरु पूजन और गुरु मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए | पुष्य नक्षत्र अमृत सिद्धि योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य बड़ा उत्तम फलदायी होता है। गुरुवार रविवार को होने वाले पुष्य नक्षत्र पर पुष्यामृत योग है। नक्षत्र सभी नक्षत्रों में सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र है।
बृहस्पतिवार के दिन यदि पुष्य नक्षत्र हो तब गुरु पुष्य योग बनता है, इस योग को अत्यधिक शुभ माना गया है। इस योग में गुरु, पिता, दादा अथवा किसी श्रेष्ठ व्यक्ति से मंत्र, तंत्र अथवा किसी विशिष्ट विषय से संबंधित उच्च विद्या ग्रहण करना, गुरु धारण करना तथा विदेश यात्रा आरंभ करना शुभ होता है।
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ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सभी शुभ कार्यों को इस दिन संपन्न किया जा सकता है, केवल एक को छोड़कर..... 'विवाह संस्कार'.. शाश्त्रों में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता | विवाह में पुष्य नक्षत्र सर्वथा वर्जित तथा अभिशापित है। अतः पुष्य नक्षत्र में विवाह कभी भी नहीं करना चाहिए। माता सीता का प्रभु राम से विवाह इसी योग में हुआ था | इसका कारण यह है कि इस विशेष योग में जो नक्षत्र आकाश मंडल में मौजूद होता है, पुष्य नक्षत्र, इसके स्वामी ग्रह शनि हैं | शनि ग्रह स्थायित्व प्रदान करने वाले हैं. और इस दिन गुरुवार हो, तो, गुरु जो स्वर्ण, धन, ज्ञान के प्रतीक हैं, और सर्व सिद्धिदायक हैं, जो सभी ग्रहों में सर्वाधिक शुभ फल दी वाले हैं, इनके प्रभाव से प्रत्येक कार्य सिद्ध भी होता है.. और शनि के कारण स्थायी भी होता है | शनि एकांत प्रदान करते हैं, जो कि साधना के लिए आवश्यक अंग है |
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एक आम आदमी भी इस शुभ महूर्त का चयन कर सबसे उपयुक्त लाभ प्राप्त कर सकता है। और अशुभता से बच सकता है। अपने जीवन में दिन-प्रतिदिन सफलता की प्राप्ति के लिए इस अद्भुत महूर्त वाले दिन किसी भी नये कार्य को नौकरी, व्यापार, या परिवार से जुड़े कार्य, बंद हो चुके कार्य शुरू करने के लिये एवं जीवन के कोई भी अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र में कार्य करने से
निश्चित सफलता कि संभावना होति है।
9 नवंबर 2017 (गुरूवार) की दोपहर 1 बजकर 36 मिनट परलगने वाला गुर-पुष्य योग पूरी दोपहर, शाम, रात और अगले दिन सूर्योदय तक रहेगा। अगले दिन शुक्रवार को सूर्य उदय होते ही यह योग समाप्त हो जाएगा।अर्थात 30 बहकर 54 मिनट तक प्रभावी रहेगा | 10 नवंबर को श्री काल भैरवाष्टमी मनाई जाएगी |
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जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री से कौन सी राशि वाले क्या खरीदें इस गुरु-पुष्य नक्षत्र योग में --
मेष : वाहन और प्रॉपर्टी
वृषभ : आभूषण, भूमि, वाहन
मिथुन : स्वर्ण आभूषण
कर्क : वाहन और स्थायी संपत्ति
सिंह : भूमि, भवन और आभूषण
कन्या : नवीन, स्वर्ण आभूषण
तुला : घरेलू सामान, स्थायी संपत्ति
वृश्चिक : भूमि एवं स्थायी वस्तु
धनु : चांदी, रत्न, श्वेत सामग्री
मकर : स्थायी संपत्ति
कुंभ : सौंदर्य प्रसाधन, वाहन
मीन : भूमि, भवन, वाहन
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जानिए आप अपनी राशि अनुसार आप इस गुरु पुष्य योग का कैसे उठा सकते हैं---
मेष राशि---
इस राशि के जातकों के लिए यह समय दाम्पत्य सुख दिला सकता है। एक साबुत हल्दी के सात टुकड़े करके पूरी रात जल में रहने दें। सुबह जब 10 तारीख लग जाए तो इस जल को छानकर नहाने के जल में मिलाकर नहाएं। हल्दी के शेष को किसी डिब्बी में भरकर रख लें।
वृषभ राशि
गुरु पुष्य योग आपके लिए गुप्त शत्रु खत्म करने का मौका लाया है। उपाय- पीपल की छोटी सी लकड़ी में पीला धागा बांधकर 9 नवंबर 2017 (गुरूवार) की दोपहर 1 बजकर 36 मिनट के बाद किसी भी समय अपने बाजू में बांध लीजिएगा।
मिथुन राशि
धन की चिंता दूर करने का वक्त है। उपाय - घी का दीपक जलाकर "ॐ ह्रीं श्री नम:" का कम से कम एक माला जाप करें।
कर्क राशि
मानसिक चिंता दूर करने का दिन है। उपाय - बरगद के पत्ते को तोड़ेंगे तो दूध निकलेगा, उसे निकालकर ले आएं। 9 नवंबर 2017 (गुरूवार) की दोपहर 1 बजकर 36 मिनट के बाद अपने माथे के दोनों बगल, कान के ऊपर मल लें।
सिंह राशि
परिवार में विवाद खत्म करने का समय है। उपाय- इस दिन घर पर खीर बनाएं, "ॐ ब्रं बृहस्पतय नम:" मंत्र का जाप करते हुए उसमें दूर्वा घुमाएं। इसके बाद इस खीर को खा लें और अगले दिन सूर्योदय होने तक कुछ और ना खाएं।
कन्या राशि
कानूनी अढ़चनों को दूर करना है तो यह गुरु पुष्य योग आपके लिए उत्तम समय साबित होगा। उपाय - एक ईंट पर हल्दी से "ॐ ब्रं बृहस्पतय नम:" लिख करके ईंट को किसी मंदिर में जाकर रख आएं।
तुला राशि
जॉब प्रमोशन या कॅरियर में तरक्की के लिए करें ये उपाय - एक तांबे का सिक्का लाकर रख लें। 9 नवंबर 2017 (गुरूवार) की दोपहर 1 बजकर 36 मिनट के बाद अपने बॉस से "ॐ ब्रं बृहस्पतय नम:" का जाप करते हुए प्रमोशन की बात करें।
वृश्चिक राशि
यह समय परिवार में सामंजस्य बिठाने और हर दिक्कत को दूर करने का है। उपाय - एक कटोरी में सरसों का तेल और एक चुटकी हल्दी डालें। 9 नवंबर 2017 (गुरूवार) की दोपहर 1 बजकर 36 मिनटके बाद सुंदरकांड का पाठ करें। इसके बाद कपूर की टिकिया उस तेल में डालकर जलाकर पूरे घर में घुमाएं। घर का हर क्लेश समाप्त होगा।
धनु राशि
यह समय अपनों को अपने पास लाने का है। उपाय - एक सात बिलांग का पीला धागा ले लीजिएगा। 7 गांठ लगाकर अपनी दाहिनी मुट्ठी में बंद करके "ॐ ब्रं बृहस्पतय नम:" का जाप करें और इसके बाद इसे अपने गले में पहन लें। तब तक इसे पहन कर रखें जब तक इस प्रकार की कोई दिक्कत जीवन से समाप्त नहीं हो जाती।
मकर राशि
परिवार में एकता कायम करने के लिए उपाय करें - सात सबुत उड़द हल्दी में रंग लें और किसी पात्र में रख लें। 9 नवंबर दोपहर 1:39 के बाद पूरे घर में छिड़क दें।
कुंभ राशि
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उत्तम समय है यह गुरु पुष्य योग। उपाय इस प्रकार है - 7 छुआरे लेकर सब पर हल्दी का तिलक कर दें। इसके बाद "ॐ ब्रं बृहस्पतय नम:" या "ॐ नम: भगवते वासुदेवाय" भी जप सकते हैं। अंत में छुआरों का सेवन कर लीजिए।
मीन राशि
यह स्थिति पति-पत्नी में आपसी सामंजस्य बनाने का उपाय करने की है। परिवार की सुख शांति मांगें। उपाय - एक छोटा-सा ईंट का टुकड़ा शहद में डिबोकर मंत्र का जाप करते हुए किसी ताबीज में डालकर अपने गले में पहन लें।
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गुरु पुष्य अमृत योग पर करने योग्य कुछ labhkari /प्रभावी उपाय ---
1.--- मोती शंख----मोती शंख एक बहुत ही दुर्लभ प्रजाति का शंख माना जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार यह शंख बहुत ही चमत्कारी होता है। दिखने में बहुत ही सुंदर होता है। इसकी चमक सफेद मोती के समान होती है।
– यदि गुरु पुष्य योग में मोती शंख को कारखाने में स्थापित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है।
– मोती शंख में जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
– मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज श्री महालक्ष्मै नम: 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।
– यदि व्यापार में घाटा हो रहा है तो एक मोती शंख धन स्थान पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है।
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2. ---- दक्षिणावर्ती शंख---- शंख भिन्न-भिन्न आकृति व अनेक प्रकार के होते हैं। शंख संहिता के अनुसार सभी प्रकार के शंखों की स्थापना घरों में की जा सकती है। मुख्य रूप से शंख को तीन भागों में विभाजित किया गया है। वामावर्ती, दक्षिणावर्ती और मध्यावर्ती। वामावर्ती बजने वाले शंख होते हैं इनका मुंह बाईं ओर होता है। दक्षिणामुखी एक विशेष जाति का दुर्लभ अद्भुत चमत्कारी शंख दाहिने तरफ खुलने की वजह से दक्षिणावर्ती शंख कहलाते हैं। इस तरह के शंख आसानी से नहीं मिल पाते हैं।
इसकी विधि इस प्रकार है-
– गुरु पुष्य के दिन सुबह नहाकर साफ वस्त्र धारण करें और शुभ मुर्हूत में अपने सामने दक्षिणावर्ती शंख को रखें। शंख पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें। मंत्र जप के लिए स्फटिक की माला का उपयोग करें।
मंत्र---
ऊं श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:।।
इस मंत्रोच्चार के साथ-साथ एक-एक चावल इस शंख में डालते रहें। चावल टूटे न हो इस बात का ध्यान रखें। इस तरह दीपावली की रात तक रोज एक माला मंत्र जप करें। पहले दिन का जप समाप्त होने के बाद शंख में चावल रहने दें और दूसरे दिन एक डिब्बी में उन चावलों को डाल दें। इस तरह एक दिन के चावल दूसरे दिन एक डिब्बे में डालकर एकत्रित कर लें। जब प्रयोग समाप्त हो जाए तो चावल व शंख को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने पूजा घर, फैक्ट्री, कारखाने या ऑफिस में स्थापित कर दें। इस प्रयोग से आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
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3.--- पारद लक्ष्मी-----
लक्ष्मी की पारद से बनी मूर्ति खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है माता लक्ष्मी सुख और ऐश्वर्य की देवी है। लक्ष्मी उपासना में पारद लक्ष्मी का स्मरण अपार खुशहाली देने वाला है।खास तौर पर यह आर्थिक परेशानियों को दूर करने वाला है। व्यवसाय में बढ़ोत्तरी और नौकरी में तरक्की के लिए पारे से बनी लक्ष्मी प्रतिमा के पूजन का विशेष महत्व है।
इसकी विधि इस प्रकार है-
– गुरु पुष्य के दिन पारद लक्ष्मी की प्रतिमा (पारे से बनी मूर्ति) उपासना के दौरान एक विशेष मंत्र का जप करने से हर तरह का आर्थिक संकट दूर होता है। इस योग वाले दिन शाम को इच्छुक व्यक्ति को सबसे पहले स्नान कर खुद को पवित्र बनाना चाहिए। इसके बाद पारद लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। मां लक्ष्मी को लाल चंदन, अक्षत, लाल वस्त्र और दूध से बने पकवान चढ़ाने चाहिए। इसके बाद माता को 108 लाल रंग के फूल अर्पित करें। हर बार फूल चढ़ाते हुए एक मंत्र बोला जाना चाहिए।
मंत्र है:-
ऊंं श्री विघ्नहराय पारदेश्वरी महालक्ष्यै नम: ।।
इस तरह सारे फूल चढ़ाने के बाद माता लक्ष्मी की आरती पांच बत्तियों वाले दीप से कर अपने आर्थिक संकट दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिए। इस मूर्ति का दिपावली के दिन तक रोज पूजन करना चाहिए। फिर इसे तिजोरी में स्थापित करना चाहिए।
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4.---- एकाक्षी नारियल----
यह भी नारियल का एक प्रकार है, लेकिन इसका प्रयोग अधिकांश रूप से तंत्र प्रयोगों में किया जाता है। इसके ऊपर आंख के समान एक चिह्न होता है। इसलिए इसे एकाक्षी (एक आंख वाला) नारियल कहा जाता है। इसे धन स्थान अथवा पर कहीं पर भी रख सकते हैं।
इसे साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। गुरु पुष्य के दिन यदि इसे विधि-विधान से घर में स्थापित कर लिया जाए तो उस व्यक्ति के घर में कभी पैसों की कमी नहीं रहती है।
इसकी विधि इस प्रकार है-
सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। किसी शुभ मुर्हूत में अपने सामने थाली में चंदन या कुंकुम से अष्ट दल बनाकर उस पर इस नारियल को रख दें और अगरबत्ती व दीपक लगा दें। शुद्ध जल से स्नान कराकर इस नारियल पर पुष्प, चावल, फल, प्रसाद आदि रखें। लाल रेशमी वस्त्र ओढ़ाएं। इसके बाद उस रेशमी वस्त्र को जो कि आधा मीटर लंबा हो बिछाकर उस पर केसर से यह मंत्र लिखें-
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मीं स्वरूपाय एकाक्षिनालिकेराय नम: सर्वदिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।
इस रेशमी वस्त्र पर नारियल को रख दें और यह मंत्र पढ़ते हुए उस पर 108 गुलाब की पंखु़ि़ड़यां चढ़ाएं यानी हर पखुंड़ी चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करते रहें-
मंत्र- ऊं ऐं ह्रीं श्रीं एकाक्षिनालिकेराय नम:।
इसके बाद गुलाब की पंखुडिय़ां हटाकर उस रेशमी वस्त्र में नारियल को लपेटकर थाली में चावलों की ढेरी पर रख दें और इस मंत्र की 1 माला जपें-
मंत्र-
ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं एकाक्षाय श्रीफलाय भगवते विश्वरूपाय सर्वयोगेश्वराय त्रैलोक्यनाथाय सर्वकार्य प्रदाय नम:।
सुबह उठकर पुन: 21 गुलाब से पूजा करें और उस रेशमी वस्त्र में लिपटे हुए नारियल को पूजा स्थान पर रख दें। इस प्रकार एकाक्षी नारियल को घर में स्थापित करने से धन लाभ होता है।
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5. ---लघु नारियल ---
ये नारियल आम नारियल से बहुत छोटे होते है। तंत्र-मंत्र में इसका खास महत्व है। नारियल को श्रीफल भी कहते हैं यानी देवी लक्ष्मी का फल। इसकी विधि-विधान से पूजा कर लाल कपड़े में बांधकर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां किसी की नजर इस पर न पड़े। इस उपाय से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं।
इसकी विधि इस प्रकार है-
– गुरु पुष्य के दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। किसी भी शुभ मुर्हूत में लघु नारियल का केसर व चंदन से पूजन करें और माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु का ध्यान करें। उनसे घर में समृद्धि बनाए रखने के प्रार्थना करें, फिर 108 बार निम्न मंत्र का जप करें-
।। श्रीं।।
इस समाप्ति के बाद लघु नारियल को धन स्थान पर रखें।
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6.---गुरु-पुष्य नक्षत्र योग में "हत्था जोड़ी"(एक विशेष पेड़ की जड़ जो सभी पूजा की दुकान में मिलती है) को "चाँदी की डिबिया में सिंदूर डालकर" अपनी तिजोरी में स्थापित करें । ऐसा करने से घर में धन की कमी नहीं रहती है । ध्यान रहे कि इसे नित्य धुप अगरबत्ती दिखाते रहे और हर पुष्य नक्षत्र में इस पर सिंदूर चढ़ाते रहे ।
पुष्य नक्षत्र में "शंख पुष्पी की जड़ को "चांदी की डिब्बी में भरकर उसे घर के धन स्थान / तिजोरी में रख देने से उस घर में धन की कभी कोई भी कमी नहीं रहती है ।
इसके अलावा बरगद के पत्ते को भी पुष्य नक्षत्र में लाकर उस पर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर उसे चांदी की डिब्बी में घर में रखें तो भी बहुत ही शुभ रहेगा ।
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