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क्या आपकी जन्‍मकुंडली में नाग दोष (सर्प दोष ) है?
















जानिए क्‍या होता है नाग दोष (सर्प दोष ) ?



प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार राहु ग्रह का संबंध नाग से है। राहु के प्रभाव से उत्‍पन्‍न होने वाले दुर्योगों को ही नाग दोष कहा जाता है। जब कुंडली में राहु और केतु पहले घर में, चन्द्रमा के साथ या शुक्र के साथ विराजमान हों तो ऐसी स्थिति में नाग दोष बनता है। किसी भी जातक की जन्म कुंडली में नाग दोष होने पर में इस दोष के बल तथा स्थिति के आधार पर ही जातक को कष्ट और इसके अशुभ फल मिलते हैं। नाग दोष जातक को मानसिक परेशानियां, व्यवसायिक समस्याएं आदि जैसे अशुभ फल दे सकता है, राहु अथवा केतु के किसी कुंडली में लग्न में स्थित होने से बनने वाला नाग दोष जातक को स्वास्थ्य, व्यवसाय तथा वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्याएं प्रदान कर सकता है तथा किसी कुंडली में राहु अथवा केतु की शुक्र के साथ स्थिति के कारण बनने वाला नाग दोष जातक के वैवाहिक जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकता है जिसके चलते इस प्रकार के नाग दोष से पीड़ित जातक का एक अथवा एक से भी अधिक विवाह टूट भी सकते हैं। अधिकतर वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि नाग दोष से पीड़ित जातक ने अपने किसी स्वार्थ के चलते नागों अथवा सांपों को सताया होता है अथवा उन्हें मारा होता है जिसके कारण उन नागों के शाप के कारण जातक की कुंडली में नाग दोष बनता है।

किसी जातक की जन्म कुंडली में नाग दोष के निर्माण की पुष्टि हो जाने पर कुंडली में इस दोष का बल, इस दोष के अशुभ प्रभाव में आने वाले जातक के जीवन के इस दोष से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों आदि का भी भली भांति निरीक्षण कर लेना चाहिए। 

जन्म कुंडली में बनने वाले नाग दोष के दुष्प्रभावों को वैदिक ज्योतिष के उपायों जैसे कि मंत्र, यंत्र, रत्न तथा कुछ अन्य उपायों के माध्यम से बहुत कम किया जा सकता है। प्रचलित मान्यता अनुसार उज्जैन के सिद्धवट स्थित सिद्धनाथ घाट पर जाकर सही रूप से (विधि विधान से) पूजा करा कर सर्पदोष (नागदोष) से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।अधिक जानकारी हेतु आप पंडित दयानन्द शास्त्री से 09039390067 पर संपर्क कर सकते हैं | शिव पुराण मे कहा गया है कि सर्प दोष युक्त कुंडली वाला व्यक्ति को नाग पंचमी पर नाग की पूजा करनी चाहिए और शिव जी पर सहस्राभिषेक करना चाहिए एसा करने से उस व्यक्ति को सर्वमनोकामना सिद्धि प्राप्त होती है।

जानिए कालसर्प दोष और नागदोष में अंतर---

कई लोगों में भ्रम रहता है कि कालसर्प और नागदोष एक समान हैं किंतु यह सत्‍य नहीं है। कालसर्प दोष वंशानुगत होता है जबकि नाग दोष का प्रभाव जातक की मृत्‍यु के बाद भी प्रभावकारी रहता है। इसके अलावा अन्‍य सात ग्रहों के राहु या केतु के साथ युति होने पर कालसर्प दोष बनता है वहीं दूसरी ओर पहले, दूसरे,पांचवें, सातवें और आठवें घर में राहु-केतु के प्रवेश पर नाग दोष जन्‍म लेता है।

इनके कारण होता हैं नागदोष कारण---

 देह संस्‍कार में देरी अथवा किसी अपरिचित के द्वारा अंतिम संस्‍कार के कारण नाग दोष लगता है।
 जब शरीर के सभी अंगों का एकसाथ दाह संस्‍कार न किया जाए तो यह दोष लगता है।
 यदि किसी व्‍यक्‍ति की मृत्‍यु दुर्घटना, बम ब्‍लास्‍ट, आत्‍महत्‍या या ज़हर खाने के कारण हुई है तो उसे नाग दोष लग जाता है।
 पूर्वर्जों द्वारा किसी अजन्‍मे बच्‍चे की हत्‍या एवं काला जादू करने पर यह दोष लगता है।

जानिए नागदोष से प्रभावित जातक पर नागदोष का प्रभाव ---

जिस किसी भी जातक की जन्म कुंडली में नाग दोष होता हैं उनके वैवाहिक जीवन में अड़चनें आती हैं, विवाह में देरी एवं कुछ मामलों में इनका तलाक भी संभव है। महिलाओं के लिए यह दोष किसी श्राप से कम नहीं होता। इस दोष के प्रभाव में महिलाओं के गर्भपात की अत्‍यधिक संभावना रहती है। नागदोष के कारण  कुछ  महिलाओं  को गर्भ धारण में बहुत समस्याऐं आतीं हैं। किसी महिला जातक  की फेलोपियन ट्यूब्स या तो बंद हो जाती हैं  या फट जाती हैं अथवा उनके  पुत्रियाँ तो आसानी से उत्पन्न हो जाती हैं परंतु जब भी पुत्र गर्भ में आता है तो वह गर्भ ही गिर जाता है या वह गर्भस्थ शिशु नाल में लिपट कर मर जाता है। कभी -कभी पुत्र गर्भ फेलोपियन ट्यूब में अटक  जाता है और ट्यूब  के  फटने व गर्भीणी स्त्री  के  जीवन को  तकलीफ/परेशानी उत्पन्न हो जाती  है। यह वास्तव में नागदोष/सर्प दोष के ही दुष्प्रभाव हैं।

इनके जीवनसाथी का स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ा रहता है। इन जातकों को स्‍वप्‍न में सांप दिखाई देते हैं एवं इनका मानसिक विकास भी धीमी गति से होता है। इस दोष से ग्रस्‍त जातक की संतान ही उसकी विरोधी बन जाती है। यह व्‍यक्‍ति बुरे कर्मों में लिप्‍त रहता है।

जातक की जन्म कुंडली में नाग दोष होने पर जातक को कोई पुराना एवं यौन संचारित रोग होता है। इन्‍हें अपने प्रयासों में सफलता प्राप्‍त नहीं होती। 

नाग दोष का अत्‍यंत भयंकर प्रभाव है कि इसके कारण महिलाओं को संतान उत्‍पत्ति में अत्‍यधिक परेशानी आती है। 

जातक की जन्म कुंडली में नाग दोष होने पर ऐसे जातक/व्‍यक्‍ति की गंभीर दुर्घटना संभव है। इन्‍हें जल्‍दी-जल्‍दी अस्‍पताल के चक्‍कर लगाने पड़ते हैं एवं इनकी आकस्‍मिक मृत्‍यु भी संभव है। इन जातकों को उच्‍च रक्‍तचाप और त्‍वचा रोग की समस्‍या रहती है।

यह होता हैं नागदोष से नुकसान/हानि--

नाग दोष का अत्‍यधिक नुकसान महिलाओं को होता है। इस दोष के प्रभाव में महिलाओं को संतान प्राप्‍ति में परेशानी आती है। सेहत ज्‍यादातर खराब रहती है।
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इस नाग मंत्र का करें जाप---  ॐ नागराजाय विद्महे  कद्रूवंशाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।
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इस नव नाग स्तुति से भी होगा लाभ ---

अनंतं वासुकि शेष पद्मनाभं च कम्बलम्।
शड्खपाल धार्तराष्ट्र तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।
तस्मे विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयीं भवेत्।
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इन उपाय से होगा नागदोष में लाभ--

 नाग दोष के प्रभाव को कम करने के लिए षष्‍टी के दिन सर्प परिहार पूजा करें एवं इसके समापन के पश्‍चात् स्‍नान अवश्‍य करें।
 नियमित रूप से भगवान शिव की आराधना करें और शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाएं। रोजाना 108 बार 'ऊं नम: शिवाय:' और 'दोष निवारण मंत्र' का जाप करें। माथे पर चंदन का तिलक लगाएं।
 मंगलवार और शनिवार के दिन शेषनाग की पूजा करें। यह पूजन कम से कम 18 सप्‍ताह तक अवश्‍य करें।
 घर पर मोर पंख रखें।
 नागपंचमी के दिन महाभारत पाठ करें और किसी ज्‍योतिष की सलाह से पंच धातु की अंगूठी धारण करें।
 गोमेद रत्‍न की चांदी की अंगूठी मध्‍यमा अंगुली में धारण करें।
 नरसिम्‍हा हेतु पूजा का आयोजन करें।
 जीवनसाथी के साथ किसी धार्मिक स्‍थान पर जाकर प्रार्थना करें।
 42 बुधवार तक किसी गरीब एवं जरूरतमंद व्‍यक्‍ति को दाल दान में दें।

जानिए आपकी जन्म कुंडली में नागदोष होने पर क्‍या न करें---

 एकादशी, शिवरात्रि, अष्‍टमी और गोकुलाष्‍टमी जैसे व्रत त्‍योहार पर किसी भी प्रकार की पूजा का आयोजन न करें। शुभ दिन एवं घर पर ही पूजन करना अच्‍छा माना जाता है।
 किसी भी नाग मंदिर में नमस्‍कार न करें।
 घर पर पूजा के समय परिवार के सभी सदस्‍यों का उपस्थित होना अनिवार्य है।
 माहवारी के दौरान महिलाएं नाग मंदिर में प्रवेश न करें एवं गर्भवती महिलाएं नाग मंदिर न जाएं।
 भोजन से पूर्व पूजा संपन्‍न करें।

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